रुद्राक्ष वर्ण और रंग के अनुसार
रुद्राक्ष
के विषय में अनेक बातों का विचार उसके महत्व को व्यक्त करता है.
रुद्राक्ष एक बेहतरीन रत्न है जो अनेक प्रकार के लाभों को दर्शाता है
रुद्राक्ष द्वारा व्यक्ति का मन अति पावन रुप को पाता है तथा इसी के द्वारा
मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है. इस कारण रुद्राक्ष के फ़ायदों को अनेक
प्रकार से उल्लेखित किया जा सकता है. यह रुद्राक्ष सैकड़ों समस्याओं का
सरल उपाय है तथा साथ ही साथ यह रुद्राक्ष जीवन के विभिन्न प्रभावों को
प्रकट करता है. रुद्राक्ष
के विषय में इस बात को भी ध्यान में रखना आवश्यक है कि रुद्राक्ष को
धारण करने के क्या नियम है तथा किस रुद्राक्ष को कौन धारण कर सकता है. यदि
देखा जाए तो इसके मूलभूत तत्वों का बखान विस्तार पूर्वक किया जा सकता है.
धार्मिक क्षेत्र में रुद्राक्ष बहुत प्रसिद्ध है और अनेक प्रकार के जप
एवं मंत्र सिद्धि में इनका उपयोग किया जाता है. रुद्राक्ष अपने विशेष
गुणों के कारण शिवतुल्य और मंगलकारी कहा जाता है.
विभिन्न रंगों में रुद्राक्ष
- रुद्राक्ष विभिन्न
रंगों में प्राप्त होता है. प्रथम श्रेणी का रुद्राक्ष कत्थई रंग,
चाकलेटी रंग या छुहारे से भी गहरे रंग का होता है. इसकी के साथ गहरे
गुलाबी रंग का भी रुद्राक्ष पाया जाता है.
-
द्वितीय श्रेणी का रुद्राक्ष हल्के चॉकलेटी रंग का, मध्यम कत्थई रंग का
और बादाम की गिरी के जैसे रंग सा होता है. इसमें मटमैला रंग भी देखा जा
सकता है.
-
तृतीय श्रेणी में रुद्राक्ष का रंग सफेदी लिए हुए होता है अथवा भूरे रंग
का होता है. सर्वप्रथम इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि रुद्राक्ष
चार रंग का होता है--श्वेत,रक्त, पीत और कृष्ण वर्ण (काला रंग) का
रुद्राक्ष. इसी रंग भेद से रुद्राक्ष धारण करने की विधि भी बताई गई है
जिसके अनुसार रुद्राक्ष को धारण करना अधिक लाभदायक माना जाता है.
वर्ण के अनुसार रुद्राक्ष का विभाजन
हमारे
यहां चार वर्णों में समुदायों का विभाजन हुआ इन चारों समुदायों में
रुद्राक्ष को धारण करने के विषय में मुख्य बातों को व्यक्त किया गया.
शास्त्रों में अलग - अलग वर्ण के लिए रुद्राक्ष का निर्धारित किया गया है
जो इस प्रकार है-
- ब्राह्मण वर्ण - प्रथम स्थान पर आते हैं ब्राह्मण, ब्राह्मण को श्वेत अर्थात सफेद रंग के रुद्राक्ष धारण करने को कहा गया है.
- क्षत्रिय वर्ण -
दूसरे स्थान पर आते हैं क्षत्रिय इन लोगों के लिए रक्त समान वर्ण के
अर्थात गहरे लाल रंग का रुद्राक्ष क्षत्रिओं के लिये हित कर कहा गया है.
- वैश्य वर्ण -
तीसरे स्थान पर वैश्य रहे इनके लिए पीत वर्ण का अर्थात पीले रंग का
रुद्राक्ष धारण करना आवश्यक बताया गया है और साथ ही साथ इस रुद्राक्ष के
अनेक लाभकारी गुणों का वर्णन प्रस्तुत किया गया है.
- शूद्र वर्ण - चौथे
स्थान पर आते हैं शूद्र, इन्हें कृष्ण वर्ण का रुद्राक्ष धारण करने को
कहा जाता है इस प्रकार रुद्राक्ष को धारण करना रुद्राक्ष के फलों में
वृद्धि करता है. इनसे सभी मुख वाले रुद्राक्षों का महत्व परिलक्षित होता
है.
एक श्लोक द्वारा भी रुद्राक्ष को
धारण करने की बात व्यक्त कि गई है. “सर्वाश्रमाणांवर� �णानां
स्त्रीशूद्राणां शिवाज्ञया धार्या: सदैव रुद्राक्षा:" सदैव रुद्राक्षा:"
अर्थात सभी आश्रमों एवं वर्णों तथा स्त्री और शूद्र को रुद्राक्ष धारण
करना चाहिये, यह शिव आज्ञा है.
रुद्राक्ष के लिए धार्मिक ग्रंथों
में विस्तार पूर्वक व्यक्त किया गया है. इसको धारण कैसे किया जा या इसे
कौन धारण कर सकता है इन सभी बातों को सरल माध्यम द्वारा अभिव्यक्त किया
गया है. इसी प्रकार ब्रह्मचारी, वानप्रस्थ, गृहस्थ और संन्यासी के लिए भी
नियम पूर्वक रुद्राक्ष धारण करना उचित माना गया है. समाज के विभिन्न
वर्णों ने इस रुद्राक्ष को नियमानुसार ग्रहण किया तथा इसके प्रभाव को अपने
में महसूस किया ।
रूद्राक्ष के प्रकार
रूद्राक्ष
पर पड़ी धारियों के आधार पर ही इनके मुखों की गणना की जाती है. रूद्राक्ष
एकमुखी से लेकर सत्ताईस मुखी तक पाए जाते हैं जिनके अलग-अलग महत्व व
उपयोगिता हैं. 1-एक मुखी रुद्राक्ष
को साक्षात शिव का रूप माना जाता है. इस 1 मुखी रुद्राक्ष द्वारा
सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. तथा भगवान आदित्य का आशिर्वाद भी
प्राप्त होता है.
2-दो मुखी रुद्राक्ष या
द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति का स्वरुप माना जाता है इस अर्धनारीश्व
का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा सी शीतलता प्रदान होती है
3-तीन मुखी रुद्राक्ष को
अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप मान अगया है. 3 मुखी रुद्राक्ष को धारण
करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों का शमन होता है.
4-चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म
स्वरुप होता है. इसे धारन करने से नर हत्या जैसा जघन्य पाप समाप्त होता
है. चतुर्थ मुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष को प्रदान करता है.
5-पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि
रुद्र का स्वरूप माना जाता है. यह पंच ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक
भी है. 5 मुखी को धारण करने से अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों
से मुक्ति मिलती है. तथा सुखों को प्राप्ति होती है.
6-छह मुखी रुद्राक्ष को
साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है. इसे शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा
जाता है यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा एवं संतान देने वाला
होता है.
7-सात मुखी रुद्राक्ष या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता है. इस 7 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
8-आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान
गणेश जी का स्वरूप माना जाता है. अष्टमुखी रुद्राक्षराहु के अशुभ
प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का क्षय करके मोक्ष देता है.
9-नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव
का स्वरूप माना जाता है. इसे बाईं भुजा में धारण करने से गर्भहत्या जेसे
पाप से मुक्ति मिलती है. नवम मुखी रुद्राक्ष को यम का रूप भी कहते हैं. यह
केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है.
10-दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है. 10 मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है.
इसे धारण करने से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं.
11-एकादश मुखी रुद्राक्ष साक्षात
भगवान शिव का रूप माना जाता है. 11 मुखी रुद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का
प्रतीक माना गया है इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती
है.
12-द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता है. इस बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान यह फल प्रदान करता है.
13-तेरह मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है इसे धारण करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है.
14-चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है. इसे सिर पर धारण करने से व्यक्ति परमपद को पाता है.
15-पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है. यह संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है.
16-सोलह मुखी रुद्राक्ष विष्णु तथा शिव का स्वरूप माना गया है. यह रोगों से मुक्ति एवं भय को समाप्त करता है.
17-सत्रह मुखी रुद्राक्ष राम-सीता
का स्वरूप माना गया है यह रुद्राक्ष विश्वकर्माजी का प्रतीक भी है इसे
धारण करने से व्यक्ति को भूमि का सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने का
मार्ग प्राप्त होता है.
18-अठारह मुखी रुद्राक्ष को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया है. इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.
19-उन्नीस मुखी रुद्राक्ष नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है यह सुख एवं समृद्धि दायक होता है.
20-बीस मुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप माना गया है. इस बीस मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं सताता.
21-इक्कीस मुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप है तथा इसमें सभी देवताओं का वास है. इसे धारण करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता है.
गौरी शंकर रुद्राक्ष -
यह रुद्राक्ष प्राकृतिक रुप से जुडा़ होता है शिव व शक्ति का स्वरूप माना
गया है. इस रुद्राक्ष को सर्वसिद्धिदायक एवं मोक्ष प्रदान करने वाला माना
गया है. गौरी शंकर रुद्राक्ष दांपत्य जीवन में सुख एवं शांति लाता है.
गणेश रुद्राक्ष -
इस रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरुप माना जाता है. इसे धारण करने से
ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है. यह रुद्राक्ष विद्या प्रदान करने में
लाभकारी है विद्यार्थियों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत लाभदायक है.
गौरीपाठ रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष त्रिदेवों का स्वरूप है. इस रुद्राक्ष द्वारा ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है.
रुद्राक्ष की पहचान
रुद्राक्ष
एक अमूल्य मोती है जिसे धारण करके या जिसका उपयोग करके व्यक्ति अमोघ फलों
को प्राप्त करता है. भगवान शिव का स्वरूप रुद्राक्ष जीवन को सार्थक कर
देता है इसे अपनाकर सभी कल्याणमय जीवन को प्राप्त करते हैं.रुद्राक्ष की
अनेक प्रजातियां तथा विभिन्न प्रकार उपल्बध हैं, परंतु रुद्राक्ष की सही
पहचान कर पाना एक कठिन कार्य है. आजकल
बाजार में सभी असली रुद्राक्ष को उपल्बध कराने की बात कहते हैं किंतु इस
कथन में कितनी सच्चाई है इस बात का अंदाजा लगा पाना एक मुश्किल काम है.
लालची लोग रुद्राक्ष पर अनेक धारियां बनाकर उन्हें बारह मुखी या इक्कीस
मुखी रुद्राक्ष कहकर बेच देते हैं.
कभी-कभी दो रुद्राक्ष को जोड़कर एक
रुद्राक्ष जैसे गौरी शंकर या त्रिजुटी रुद्राक्ष तैयार कर दिए जाता हैं.
इसके अतिरिक्त उन्हें भारी करने के लिए उसमें सीसा या पारा भी डाल दिया
जाता है, तथा कुछ रुद्राक्षों में हम सर्प, त्रिशुल जैसी आकृतियां भी बना
दी जाती हैं.
रुद्राक्ष की पहचान को लेकर अनेक
भ्रातियां भी मौजूद हैं. जिनके कारण आम व्यक्ति असल रुद्राक्ष की पहचान
उचित प्रकार से नहीं कर पाता है एवं स्वयं को असाध्य पाता है. असली
रुद्राक्ष का ज्ञान न हो पाना तथा पूजा ध्यान में असली रुद्राक्ष न होना
पूजा व उसके प्रभाव को निष्फल करता है. अत: ज़रूरी है कि पूजन के लिए
रुद्राक्ष का असली होना चाहिए.
रुद्राक्ष के समान ही एक अन्य फल
होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, और यह रुद्राक्ष के जैसा हो दिखाई
देता है इसलिए कुछ लोग रुद्राक्ष के स्थान पर इसे भी नकली रुद्राक्ष के
रुप में बेचते हैं. भद्राक्ष दिखता तो रुद्राक्ष की भांति ही है किंतु
इसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते.
असली रुद्राक्ष की पहचान के कुछ तरीके बताए जाते हैं जो इस प्रकार हैं.
- रुद्राक्ष की पहचान
के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का
रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा.
- रुद्राक्ष
को काटने पर यदि उसके भीतर उतने ही घेर दिखाई दें जितने की बाहर हैं तो
यह असली रुद्राक्ष होगा. यह परीक्षण सही माना जाता है,किंतु इसका
नकारात्मक पहलू यह है कि रुद्राक्ष नष्ट हो जाता है.
- रुद्राक्ष की पहचान के लिए उसे किसी नुकिली वस्तु द्वारा कुरेदें यदि उसमे से रेशा निकले तो समझें की रुद्राक्ष असली है.
- दो असली रुद्राक्षों की उपरी सतह यानि के पठार समान नहीं होती किंतु नकली रुद्राक्ष के पठार समान होते हैं.
- एक
अन्य उपाय है कि रुद्राक्ष को पानी में डालें अगर यह डूब जाए, तो असली
होगा. यदि नहीं डूबता तो नकली लेकिन यह जांच उपयोगी नहीं ं मानी जाती है
क्योंकि रुद्राक्ष के डूबने या तैरने की क्षमता उसके घनत्व एवं कच्चे या
पके होने पर निर्भर करती है और रुद्राक्ष मेटल या किसी अन्य भारी चीज से
भी बना रुद्राक्ष भी पानी में डूब जाता है.
- एक अन्य उपयोग द्वारा रुद्राक्ष के मनके को तांबे के दो सिक्कों के बीच में रखा जाए, तो थोड़ा सा हिल जाता है
- क्योंकि रुद्राक्ष में चुंबकत्व होता है जिस की वजह से ऐसा होता है.
- कहा
जाता है कि दोनो अंगुठों के नाखूनों के बीच में रुद्राक्ष को रखें यदि वह
घुमता है तो असली होगा अन्यथा नकली परंतु यह तरीका भी सही नही है.
- एकमुखी
रुद्राक्ष को ध्यानपूर्वक देखने पर उस पर त्रिशूल या नेत्र के चिन्ह का
आभास होता है. रुद्राक्ष के दानों को तेज धूप में काफी समय तक रखने से अगर
रुद्राक्ष पर दरार न आए या वह टूटे नहीं तो असली माने जाते हैं.
- रुद्राक्ष
को खरीदने से पहले कुछ मूलभूत बातों का अवश्य ध्यान रखें जैसे की
रुद्राक्ष में किडा़ न लगा हो, टूटा-फूटा न हो, पूर्ण गोल न हो, जो
रुद्राक्ष छिद्र करते हुए फट जाए इत्यादि रुद्राक्षों को धारण नहीं करना
चाहिए .
विभिन्न राशियों के लिए रुद्राक्ष
रुद्राक्ष
अपने अनेकों गुणों के कारण व्यक्ति को दिया प्रकृति का बहुमूल्य उपहार
है मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के नेत्रों से निकले
जलबिंदु से हुई है. अनेक धर्म ग्रंथों में रुद्राक्ष के महत्व को प्रकट
किया गया है जिसके फलस्वरूप रुद्राक्ष के महत्व से जग प्रकाशित है. इसे
धारण करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. अत: रुद्राक्ष
को यदि राशि के अनुरुप धारन किया जाए तो यह ओर भी अधिक प्रभावशाली सिद्ध
होता है. रुद्राक्ष
को राशि, ग्रह और नक्षत्र के अनुसार धारण करने से उसकी फलों में कई गुणा
वृद्धि हो जाती है. ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु
रुद्राक्ष बहुत उपयोगी होता है. कुंडली के अनुरूप सही और दोषमुक्त
रुद्राक्ष धारण करना अमृत के समान होता है.
रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता
उपाय है, इसे धारण करने से व्यक्ति उन सभी इच्छाओं की पूर्ति कर लेता है
जो उसकी सार्थकता के लिए पूर्ण होती है. रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान
नहीं होता यह किसी न किसी रूप में व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति कराता
है.
कई बार कुंडली में शुभ-योग मौजूद
होने के उपरांत भी उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न धारण करना
लग्नानुसार उचित नहीं होता इसलिए इन योगों के अचित एवं शुभ प्रभाव में
वृद्धि के लिए इन ग्रहों से संबंधित रुद्राक्ष धारण किए जा सकते हैं और
यह रुद्राक्ष व्यक्ति के इन योगों में अपनी उपस्थित दर्ज कराकर उनके
प्रभावों को की गुणा बढा़ देते हैं. अर्थात गजकेसरी योग के लिए दो और
पांच मुखी, लक्ष्मी योग के लिए दो और तीन मुखी रुद्राक्ष लाभकारी होता
है.
इसी प्रकार अंक ज्योतिष के अनुसार
व्यक्ति अपने मूलांक, भाग्यांक और नामांक के अनुरूप रुद्राक्ष धारण कर
सकता है. क्योंकि इन अंकों में भी ग्रहों का निवास माना गया है. हर अंक
किसी ग्रह न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है उदाहरण स्वरुप अंक एक के
स्वामी ग्रह सूर्य है और अंक दो के चंद्रमा इसी प्रकार एक से नौ तक के
सभी अंकों के विशेष ग्रह मौजूद हैं. अतः व्यक्ति संबंधित ग्रह के
रुद्राक्ष धारण कर सकता है. इसी प्रकार नौकरी एवं व्यवसाय अनुरूप
रुद्राक्ष धारण करना कार्य क्षेत्र में चौमुखी विकास, उन्नति और सफलता को
दर्शाता है.
राशियों के अनुरुप रुद्राक्ष
- मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं, इसलिए मेष राशि के जातकों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.
- वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्र है अत: इस राशि के जातकों के लिए छ: मुखी रुद्राक्ष फायदेमंद होता है.
- मिथुन राशि के स्वामी ग्रह बुध है. मिथुन राशि के लिए चार मुखी रुद्राक्ष है.
- कर्क राशि के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं इस राशि के लिए दो मुखी रुद्राक्ष लाभकारी है.
- सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्य हैं. इस राशि के लिए एक या बारह मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा.
- कन्या राशि के स्वामी ग्रह बुध हैं. कन्या राशि के लिए चार मुखी रुद्राक्ष लाभदायक है.
- तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र हैं. तुला राशि के लिए छ: मुखी रुद्राक्ष तथा तेरह मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा.
- वृश्चिक राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं. वृश्चिक राशि के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होगा.
- धनु राशि के स्वामी ग्रह (गुरु)बृहस्पति हैं. धनु राशि के लिए पाँच मुखी रुद्राक्ष उपयोगी है.
- मकर राशि के स्वामी ग्रह शनि हैं. मकर राशि के लिए सात या चौदह मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा.
- कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनि हैं. कुंभ राशि के व्यक्ति के लिए सात या चौदह मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होगा.
- मीन राशि के स्वामी ग्रह गुरु हैं. इस राशि के जातकों के लिए पाँच मुखी रुद्राक्ष उपयोगी है.
- राहु के लिए आठ मुखी रुद्राक्ष और केतु के लिए नौमुखी रुद्राक्ष का वर्णन किया गया है.
No comments:
Post a Comment