होली निकट आते ही कुछ सेकुलर किस्म के लोग पानी बचाने का सन्देश देना शुरू
कर देते हैं ! होली के अवसर पर पानी इनके लिए डीजल और पेट्रोल से भी
ज्यादा कीमती हो जाता है ! होली ही क्यों भारतीय संस्कृति से जुड़ा हर
त्यौहार इनके अनुसार पर्यावरण के लिए खतरा है ! दीपावली आने पर इन्हें सीधी
ओजोन परत दिखाई देती है ! नदियों का प्रदुषण केवल गणेश चतुर्थी पर नजर आता
है !
अब होली पर पुनः एक बार ऐसा माहोल बनाया जा रहा है कि पानी
मिले रंग से होली खेलने पर पूरा देश सूखा और अकाल से ग्रस्त हो जाएगा ! इन
सेकुलरों में कुछ धूर्त गणितज्ञ भी होते हैं जो होली के दिन कितने लाख/करोड़
गैलेन पानी बर्बाद होगा, इसका भी हिसाब लगाकर अखबारों में छपवा देते हैं !
अब इन मूर्खों को कौन समझाए कि अपनी आवश्यकता के अनुसार पानी संग्रहण का
काम बरसात में होता है ! उस समय ये प्राणी पता नहीं किस शाख पर बैठे रहते
है ??
मेरा सभी मित्रों से अनुरोध है कि पानी बचाने के लिए अपने
दैनिक व्यवहार को बदलें, त्यौहार को नहीं ! वर्ष पर पानी बचाएं लैकिन होली
को होली की तरह मनाएँ !!
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