खुलासा
हुआ है की दिल्ली के दरिंदो के पहले कालगर्ल खोजी फिर नही मिलने पर गुडिया
को रौंद डाला .. ठीक यही निर्भया उर्फ़ दामिनी केस में भी हुआ था .वो
दरिन्दे सडक पर बस लेकर कालगर्ल खोज रहे थे
मित्रो, कुछ लोगो को
मेरा ये बात अटपटा लग सकता है लेकिन यदि भारत सरकार कुछ बड़े शहरों में जहा
पर प्रवासी लोग मजदूरी करने ज्यादा आते है यदि वहाँ वेश्यावृत्ति को
क़ानूनी रूप देकर उन्हें कुछ शर्तो के साथ यदि स्वीक्रति दे दे तो देश में
बहुत से बलात्कार रोके जा सकते है |
मैंने सआदत हसन मंटो की किताब
में पढ़ा था की "तुम क्यों वेश्याओ को हिराकत की नजर से देखते हो ? वो है
तो तुम्हारे घरो की बहू बेटिया सलामत है" |
एम्सटर्डम में एक समय में बलात्कार के बहुत केस बढ़ गये थे ..इतने की
मीडिया ने एम्सटर्डम को रेप केपिटल ऑफ़ यूरोप घोषित कर दिया था ... लेकिन
वहाँ की सरकार ने कुछ समाजशास्त्रीयो के सुझाव पर वेश्यावृति को क़ानूनी
रूप देकर उन्हें लाइसेंस दे दिया जिससे कुछ हप्तो के अंदर ही बलात्कार में
नाटकीय ढंग से गिरावट आई |
मित्रो, वेश्यावृति दुनिया का सबसे
पुराना पेशा माना जाता है .. हिन्दूधर्म में इन्हें एक इज्जत दी गयी है ..
इनके लिए गणिका, नगरवधू, देवदासी आदि शब्द इस्तेमाल किये गये है .. चाणक्य
ने भी समाज में इनकी महत्ता बताई है ..और पुराने युग में इन्हें शत्रु
राजाओ को मारने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था जिन्हें विषकन्या भी कहते
थे |
आज भी वाराणसी में एक श्मशानघाट पर जलती हुई चिताओ के बीच वेश्याये नाचती हुई शिव की आराधना करती है ..
हिन्दी की मशहूर लेखिका शिवानी ने भी लिखा है की ये वेश्याए समाज की गंदगी को खुद के अंदर लेकर समाज को साफ रखती है |
मित्रो, इन्ही शब्दों के साथ मै आपको सआदत हसन मंटो का लिखा एक व्यंग भी लिखता हूँ
"लाहौर के लालचौक में जनता प्रदर्शन कर रही है .. जनता की मांग है की
वेश्यायो को शहर से बाहर निकाला जाये क्योकि उनके वजह से सभ्य और शहरी लोगो
के बच्चो पर बुरा असर पड़ता है | फिर शहर कोतवाल ने वेश्याओ को शहर के दूर
जाने के आदेश दे दिए ...वेश्याये शहर से काफी दूर अपना कोठा बनाकर रहने
लगी ... चूँकि लोग वेश्याओ के कोठे पर चमेली का गजरा लेकर जाते है इसलिए
फूलवाला माली भी अपनी दुकान लेकर आ गया ... फिर शराब वाले ने भी अपनी शराब
की दुकान खोल दी ..फिर जब शराब की दुकान है तो चखना का दुकान वाला भी आ गया
... फिर जब थोड़ी चहल पहल बढ़ी तो समोसे और चाय वालो ने भी अपनी दुकाने
खोल दी .. फिर इन दुकान वालो को रात में वापस शहर जाना तकलीफदेय लगने लगा
तो इन्होने अपने छोटे छोटे घर भी वही बना लिए ... फिर एक ने देखा की इनके
बच्चों को दूर पढने जाना पड़ता है तो एक ने वहाँ स्कुल भी खोल दिया ... फिर
धीरे धीरे एक बड़ी बस्ती बस गयी ..
फिर कुछ दिनों के बाद लोग उसी
बस्ती के कोतवाल के सामने प्रदर्शन करने लगे की इन वेश्याओ को यहाँ से
हटाओ इनके वजह से हमारे बच्चो पर बुरा असर पड़ता है" |
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